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कई बार छींक बहुत तेजी से आती है. अगर इतनी तेज गति से आने वाली छींक को रोका जाए तो दिमाग की नश तक फट सकती है। छींक के दौरान दिमाग पर इतना प्रेशर पड़ता है कि छींक रोकने से कई नुकसान हो सकते हैं. कई बार अगर नाक में कोई बाहरी तत्व चला जाए तो छींक आने लगती है. इसके अलावा जुकाम में भी छींक आती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छींक रोकना भी कई बार जानलेवा साबित हो सकता है।

छींक का खतरनाक असर अंगों पर पड़ता है
मेडिकल साइंस के मुताबिक छींक रोकने की कोशिश आपके शरीर में कई सारी दिक्कत शुरू कर सकती है. जो काफी ज्य़ादा जानलेवा साबित हो सकती है. इसके कारण शरीर के फंक्शन पर भी बुरा असर होता है. डॉक्टर्स छींक रोकना बहुत खतरनाक मानते हैं. छींक रोकने से आपके शरीर के अंगों पर खतरनाक असर पड़ता है. तेज गति से आने वाली छींक से नाक, गले और मुंह के दूसरे सेल्स पर काफी ज्यादा प्रेशर पड़ता है. इसके कारण इन सेल्स को काफी ज्यादा नुकसान होता है. कई बार तो ब्रेन पर भी इसका गंभीर असर पड़ता है।

छींक रोकने का असर कान पर पड़ता है
छींक के दौरान नाक के छेद में तेज गति में हवा में चली आती है. ऐसे में छींक तेज हवा रोकती है और दूसरे अंगों में चली जाती है. सबसे ज्यादा असर कान में पड़ता है. कान के परदे पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

छींक रोकने से बैक्टीरिया शरीर के अंदर चला जाता है
छींक के कारण नाक और मुंह से बैक्टीरिया निकलता है. छींक रोकने से बैक्टीरिया भी शरीर में रूक जाएगा. जिसके कारण इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है. छींक रोकने से आंख के ब्लड वेसल्स भी बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं. दिमाग की नसों पर भी इसका बुरा असर होता है. इसलिए छींक नहीं रोकना चाहिए।

छींक रोकने से गर्दन में सूजन होने लगता है
छींक रोकने से ऐसा महसूस होता है कि जैसे गर्दन में कुछ फट गया है. जिसके कारण तेज दर्द महसूस होता है. इसके कारण कुछ भी निगलने में काफी ज्यादा दिक्कत होती है. इसके कारण बोलने में भी काफी दिक्कत होती है. छींक रोकने के कारण सांस की नली में सूजन हो जाती है. इसके कारण कुछ भी खाने और बोलने में दिक्कत होती है।

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